Uttarakhand Forest Fire: अब तक जिस पिरूल को उत्तराखंड की वनाग्नि के लिए जिम्मेदार माना जा रहा था अभी वही जंगल और ग्रामीणों के लिए वरदान बन गया और यह सब हुआ है, जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों और शोधार्थी तरन्नुम की शोध की वजह से।
जैव रसायन विभाग के वैज्ञानिक डाॅ. टीके भट्टाचार्य और डॉ. एके वर्मा के निर्देशन में तरन्नुम द्वारा पिरूल से कीमती बायो-ग्रीस और बायो-रेजिन (एडहेसिव) बनाने का सफल प्रयोग किया गया, और इन दोनों तकनीकों को गुजरात की कंपनी ग्रीन माॅलीक्यूल्स को बेच दिया गया है जिससे अब पिरूल जंगल को आग और प्रदुषण से भी बचाएगा, ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत करेगा और पलायन को भी रोकेगा।