उत्तराखंड में मानसून की शुरुआत हो चुकी है ऐसे में जोशीमठ पर फिर से संकट बढ़ने के आसार हैं क्योंकि यहाँ के जर्जर भवन पहाड़ों पर भार बने हुए हैं। ऐसे में ड्रेनेज प्लान पर भी काम नहीं हुआ है जिससे मानसून में फिर से खतरा बढ़ेगा।
ऐसा इसलिए है क्योंकि अभी जोशीमठ की दरारें पूर्ण रूप से भरी नहीं हैं, और वहां ड्रेनेज की व्यवस्था भी ठप पड़ी है जिससे बारिश का पानी जमीं में समाने का खतरा बना हुआ है। वैज्ञानिकों की तरफ से आयी Reports में जोशीमठ को बचाने वाले कामों को जल्द से जल्द शुरू करने के निर्देश दिए गए थे। अभी भी यहाँ 14 पॉकेट ऐसे हैं, जहां 800 से अधिक जर्जर पहाड़ पर भार बने हैं।